झिलमिल झिलमिल करते तारे कौन सा अलंकार है अर्थ, उदाहरण और स्पष्टीकरण

by BRAINLY IN FTUNILA 68 views
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क्या आप हिंदी व्याकरण में अलंकारों के बारे में जानने के लिए उत्सुक हैं? खासकर, क्या आप यह समझने में रुचि रखते हैं कि "झिलमिल झिलमिल करते तारे" पंक्ति में कौन सा अलंकार है? तो आप बिल्कुल सही जगह पर आए हैं! इस लेख में, हम इस पंक्ति में प्रयुक्त अलंकार की गहराई से जांच करेंगे, और साथ ही अलंकारों के बारे में आपकी समझ को और बेहतर बनाने के लिए कुछ अतिरिक्त जानकारी और उदाहरण भी प्रदान करेंगे।

अलंकार क्या होते हैं?

दोस्तों, अलंकारों को समझना हिंदी व्याकरण का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, खासकर जब आप भाषा की सुंदरता और गहराई को समझना चाहते हैं। अलंकार का शाब्दिक अर्थ है 'आभूषण' या 'सजावट', और जिस तरह गहने किसी व्यक्ति की सुंदरता बढ़ाते हैं, उसी तरह अलंकार भाषा को सुंदर और प्रभावशाली बनाते हैं। ये भाषा में सौंदर्य और चमत्कार उत्पन्न करने के उपकरण हैं। अलंकारों का उपयोग कविता और साहित्य में भाषा को अधिक आकर्षक और प्रभावशाली बनाने के लिए किया जाता है।

अलंकार के मुख्य कार्य:

  • भाषा को सुंदर और आकर्षक बनाना।
  • अर्थ को अधिक गहराई और स्पष्टता से व्यक्त करना।
  • पाठकों और श्रोताओं पर अधिक प्रभाव डालना।
  • कविता और साहित्य में रचनात्मकता और कल्पनाशीलता को बढ़ावा देना।

अलंकार के प्रकार

मुख्य रूप से अलंकार दो प्रकार के होते हैं:

  1. शब्दालंकार: जहाँ शब्दों के प्रयोग से काव्य में सौंदर्य उत्पन्न होता है, वहाँ शब्दालंकार होता है। इसका मतलब है कि इन अलंकारों में शब्दों का विशेष महत्व होता है, और यदि उन शब्दों को बदल दिया जाए तो अलंकार का सौंदर्य समाप्त हो जाता है।
  2. अर्थालंकार: जहाँ अर्थ के माध्यम से काव्य में सौंदर्य उत्पन्न होता है, वहाँ अर्थालंकार होता है। यहाँ शब्दों का इतना महत्व नहीं होता, जितना कि उनके अर्थ का। यदि शब्दों को उनके पर्यायवाची शब्दों से बदल दिया जाए, तो भी अलंकार बना रहता है।

"झिलमिल झिलमिल करते तारे" में कौन सा अलंकार है?

अब आते हैं हमारे मुख्य प्रश्न पर: "झिलमिल झिलमिल करते तारे" में कौन सा अलंकार है? इस पंक्ति में पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार है।

पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार

पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार क्या होता है, यह जानना भी जरूरी है। पुनरुक्ति का अर्थ है किसी शब्द को दोहराना। जब किसी वाक्य में एक ही शब्द दो या दो से अधिक बार आए, लेकिन हर बार उसका अर्थ वही रहे, तो वहाँ पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार होता है। इस अलंकार में शब्दों का दोहराव सौंदर्य और लय उत्पन्न करता है।

"झिलमिल झिलमिल करते तारे" में 'झिलमिल' शब्द का दो बार प्रयोग हुआ है, और दोनों बार इसका अर्थ चमकना या टिमटिमाना है। इस दोहराव से वाक्य में एक विशेष प्रकार की लय और सौंदर्य उत्पन्न हो रहा है, जो इसे पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार का उदाहरण बनाता है।

पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार के उदाहरण:

  • धीरे-धीरे चलो।
  • मीठे-मीठे बोल।
  • लाल-लाल फूल।

इन उदाहरणों में, आप देख सकते हैं कि कैसे शब्दों का दोहराव वाक्य को अधिक प्रभावशाली और सुंदर बना रहा है।

शब्दालंकार के अन्य उदाहरण

चूंकि हमने यह जान लिया है कि "झिलमिल झिलमिल करते तारे" में पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार है, तो क्यों न हम शब्दालंकार के कुछ अन्य महत्वपूर्ण प्रकारों पर भी एक नज़र डालें?

  1. अनुप्रास अलंकार: अनुप्रास अलंकार में वर्णों या अक्षरों की आवृत्ति होती है। जब किसी वाक्य में एक ही वर्ण या अक्षर बार-बार आए, तो वहाँ अनुप्रास अलंकार होता है। यह आवृत्ति वाक्य में एक संगीतमय प्रभाव पैदा करती है।
    • उदाहरण: "कल कानन कुंडल मोर पंख" - इस पंक्ति में 'क' वर्ण की आवृत्ति हो रही है।
  2. यमक अलंकार: यमक अलंकार में एक शब्द दो या दो से अधिक बार आता है, लेकिन हर बार उसका अर्थ अलग होता है। यह अलंकार अर्थ में भिन्नता के कारण चमत्कार उत्पन्न करता है।
    • उदाहरण: "कनक कनक ते सौ गुनी मादकता अधिकाय" - यहाँ 'कनक' शब्द दो बार आया है, पहले कनक का अर्थ सोना है और दूसरे कनक का अर्थ धतूरा।
  3. श्लेष अलंकार: श्लेष अलंकार में एक शब्द के एक से अधिक अर्थ होते हैं। जब एक ही शब्द वाक्य में दो या दो से अधिक अर्थों में प्रयुक्त होता है, तो वहाँ श्लेष अलंकार होता है।
    • उदाहरण: "रहिमन पानी राखिए, बिन पानी सब सून" - यहाँ 'पानी' शब्द के दो अर्थ हैं: पहला, जल और दूसरा, सम्मान।

अर्थालंकार के कुछ महत्वपूर्ण उदाहरण

अब, आइए अर्थालंकार के कुछ महत्वपूर्ण उदाहरणों पर भी नजर डालते हैं:

  1. उपमा अलंकार: उपमा अलंकार में दो भिन्न वस्तुओं या व्यक्तियों के बीच समानता बताई जाती है। इसमें 'जैसा', 'जैसे', 'सा', 'सी', 'सदृश' आदि शब्दों का प्रयोग होता है।
    • उदाहरण: "चाँद सा सुंदर चेहरा" - यहाँ चेहरे की सुंदरता की तुलना चाँद से की गई है।
  2. रूपक अलंकार: रूपक अलंकार में दो वस्तुओं को एकरूप मान लिया जाता है, यानी उपमेय और उपमान में कोई अंतर नहीं रहता।
    • उदाहरण: "चरण कमल बन्दौ हरिराई" - यहाँ चरणों को कमल के समान नहीं, बल्कि कमल ही मान लिया गया है।
  3. उत्प्रेक्षा अलंकार: उत्प्रेक्षा अलंकार में उपमेय में उपमान की संभावना या कल्पना की जाती है। इसमें 'मानो', 'जानो', 'ज्यों' आदि शब्दों का प्रयोग होता है।
    • उदाहरण: "सोहत ओढ़े पीत पट, स्याम सलोने गात। मनो नीलमणि सैल पर, आतप परयो प्रभात॥" - यहाँ कृष्ण के श्याम शरीर पर पीले वस्त्रों की शोभा की कल्पना नीलमणि पर्वत पर सुबह की धूप पड़ने से की गई है।
  4. अतिशयोक्ति अलंकार: अतिशयोक्ति अलंकार में किसी बात को बढ़ा-चढ़ाकर कहा जाता है।
    • उदाहरण: "हनुमान की पूँछ में लगन न पाई आग, लंका सगरी जल गई, गए निसाचर भाग" - यहाँ हनुमान की पूँछ में आग लगने से पहले ही लंका के जलने की बात को बढ़ा-चढ़ाकर कहा गया है।

अलंकारों का महत्व

दोस्तों, अलंकारों का हिंदी साहित्य में बहुत महत्व है। ये भाषा को सुंदर और प्रभावशाली बनाने के साथ-साथ अर्थ को गहराई से समझने में भी मदद करते हैं। अलंकारों के प्रयोग से कविता और साहित्य में एक विशेष प्रकार का सौंदर्य और आकर्षण उत्पन्न होता है, जो पाठकों और श्रोताओं को आनंदित करता है।

  • भाषा को आकर्षक बनाना: अलंकार भाषा को सजाते हैं और उसे अधिक आकर्षक बनाते हैं।
  • अर्थ को स्पष्ट करना: अलंकार अर्थ को अधिक स्पष्टता और गहराई से व्यक्त करने में मदद करते हैं।
  • प्रभावशीलता बढ़ाना: अलंकारों के प्रयोग से भाषा अधिक प्रभावशाली बनती है और पाठकों और श्रोताओं पर गहरा प्रभाव डालती है।
  • रचनात्मकता को बढ़ावा देना: अलंकार लेखकों और कवियों को अपनी रचनात्मकता और कल्पनाशीलता का प्रदर्शन करने का अवसर देते हैं।

निष्कर्ष

तो दोस्तों, इस लेख में हमने जाना कि "झिलमिल झिलमिल करते तारे" पंक्ति में पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार है। हमने अलंकारों के प्रकार, उनके महत्व और कुछ अन्य उदाहरणों पर भी चर्चा की। उम्मीद है कि इस लेख से आपको अलंकारों को समझने में मदद मिली होगी।

हिंदी व्याकरण में अलंकारों का ज्ञान भाषा की सुंदरता और गहराई को समझने के लिए बहुत जरूरी है। इसलिए, अलंकारों का अध्ययन करते रहें और अपनी भाषा को और भी सुंदर और प्रभावशाली बनाते रहें। अगर आपके मन में कोई सवाल है, तो बेझिझक पूछिए!